
America scared of China and Solomon Treaty
वेलिंग्टन: अमेरिका का एक प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को अपनी यह चिंता व्यक्त करने के लिए सोलोमन द्वीप समूह पहुंचा कि चीन दक्षिण प्रशांत स्थित इस देश में सैन्य बल भेज सकता है और क्षेत्र को अस्थिर कर सकता है। यह यात्रा चीन और सोलोमन द्वीप समूह द्वारा इसकी पुष्टि किए जाने के कुछ दिनों बाद हुई है कि उन्होंने एक सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस घटनाक्रम ने पड़ोसी देशों और पश्चिमी देशों को चिंतित कर दिया है।
अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर्ट कैंपबेल कर रहे हैं जो राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद हिंद-प्रशांत समन्वयक और पूर्वी एशियाई एवं प्रशांत मामलों के सहायक विदेश मंत्री डैनियल क्रिटेनब्रिंक कर रहे हैं। इस यात्रा के दौरान, अमेरिका राजधानी होनियारा में एक दूतावास को फिर से खोलने की योजना पर भी चर्चा करेगा, क्योंकि वह चीन के प्रभाव को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण देश में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की कोशिश में है। दूतावास 1993 से बंद है। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि सुरक्षा समझौते की व्यापक प्रकृति चीन के लिए सैन्य बलों को भेजने का दरवाजा खोलती है।
पापुआ न्यू गिनी में अमेरिकी दूतावास के बयान में कहा गया है- ‘हमें चीन से सुरक्षा बलों को आयात करने और इसमें विश्वास नहीं है कि उनके तरीकों से सोलोमन द्वीप समूह को मदद मिलेगी। बल्कि ऐसा करने से स्थानीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय तनाव बढ़ेगा और बीजिंग द्वारा प्रशांत क्षेत्र में आंतरिक सुरक्षा तंत्र के विस्तार को लेकर चिंताएं बढ़ जाएंगी।’ इसमें कहा गया है कि अमेरिका इस बात को लेकर चिंतित है कि सोलोमन की स्वायत्तता के लिए समझौते के क्या निहितार्थ होंगे। ऑनलाइन लीक हुए मसौदा समझौते में कहा गया है कि चीन के लड़ाकू पोत सोलोमन में रुक सकेंगे और चीन सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने में मदद के लिए पुलिस और सशस्त्र बल सोलोमन भेज सकता है। इनपुट-भाषा