नई दिल्ली. लंबे समय से इंसान की अंतरिक्ष में बसने की इच्छा है. इसमें आने वाली कई समस्यओं को काफी हद तक दूर कर लिया गया है. फिर भी अंतरिक्ष में इंसानी बस्तियों को बसाने के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा उसकी बुनियादी जरूरत खाना ही बना हुआ है. क्योंकि अंतरिक्ष में खाना पहुंचाने की लागत बहुत ज्यादा है. नासा ने 2008 में एक अनुमान लगाया था कि पृथ्वी की कक्षा में एक पाउंड खाना पहुंचाने की लिए लागत 766675 रुपये ( 10,000 डॉलर) पड़ती है. जबकि इस हिसाब से मंगल पर एक पाउंड भोजन ले जाने में कई गुना अधिक खर्च आएगा.
जेफ बेजोस और एलन मस्क दोनों ही अंतरिक्ष में कालोनी बनाना चाहते हैं. नासा भी लोगों को मंगल ग्रह की धूल भरी जमीन पर उतारने की कोशिश कर रहा है. इस राह की सबसे बड़ी बाधा या सबसे बड़ा सवाल यही है कि अगर इंसान चंद्रमा या स्पेस के दूसरे ग्रहों पर कालोनी बनाते हैं, तो वे क्या खाएंगे? अंतरिक्ष में पौधे पनप सकते हैं या नहीं, इसके बारे में पहले ही कई प्रयोग किए जा चुके हैं. अब एक इजराइली कंपनी एलेफ फार्म्स ने अंतरिक्ष में मांस को उगाने का नया सपना देखा है. ये देखने के लिए एक नया परीक्षण शुरू हो गया है कि क्या मांस की कोशिकाएं स्पेस में बढ़ सकती हैं?
एलेफ फार्म्स का कहना है कि मंगल ग्रह लाखों किलोमीटर दूर है. इसलिए वहीं पर स्थानीय रूप से अपने खाने का उत्पादन करने में सक्षम होने से अंतरिक्ष यात्रियों को एक बड़ा फायदा होगा. इजराइली कंपनी एलेफ फार्म्स कोशिकाओं से मांस उगाने में माहिर है. जब 8 अप्रैल को चार लोग अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए पहले निजी मिशन पर स्पेसएक्स रॉकेट में रवाना हुए तो वे अपने साथ एक छोटे जूते के बॉक्स के आकार का कंटेनर लेकर गए. जिसमें जानवरों की कोशिकाएं और उनके बढ़ने कि लिए जरूरी हर चीज थी. एलेफ फार्म मांस को उगाने की कोशिश कर रही कई कंपनियों में से एक है. लेकिन ये अंतरिक्ष में ऐसा करने की कोशिश करने वाली पहली कंपनी है.
स्पेसएक्स रॉकेट ने रचा इतिहास, निजी अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर हुआ रवाना
जबकि इस प्रयोग के विरोधियों का कहना है कि ये तरीका धरती पर ही बहुत ज्यादा कारगर नहीं है. मांस को स्पेस में उगाना कभी भी इसे पृथ्वी से ले जाने से अधिक सरल नहीं होगा. बड़े पैमाने पर कोशिकाओं से मांस उगाना धरती पर भी आसान नहीं है. जानवरों की कोशिकाओं को बढ़ने के लिए अमीनो एसिड और कार्बोहाइड्रेट जैसी कई चीजें चाहिए. वैज्ञानिकों को नहीं पता कि इस प्रक्रिया को शून्य गुरुत्वाकर्षण में सफलता से दोहराया जा सकता है या नहीं? अगर ये सब कुछ इतना आसान होता तो सुपरमार्केट कोशिकाओं से उगाए गए मांस से भरे नहीं होते? वास्तव में इस उद्योग में सैकड़ों मिलियन डॉलर लगाए गए हैं. फिर भी ये ऐसा भोजन है, जिसका बड़े पैमाने पर उत्पादन करना कठिन है. एलेफ फार्म अभी भी इजराइल में ही इसकी प्रतीक्षा कर रहा है कि उसके उगाए गए मांस को रेस्तरां में बेचने की मंजूरी मिले.
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