भारत में कोरोना ( Corona Virus ) की दूसरी लहर ने तबाही मचा दिया था। युवाओं से लेकर बुजुर्ग तक इसके जद में आ चुके थे। लेकिन अब कोरोना की दूसरी लहर धीमी पड़ चुकी है। वहीं महाराष्ट्र समेत मध्यप्रदेश, केरल और अब जम्मू-कश्मीर में भी डेल्टा प्लस के मामले सामने आए हैं. जिसमें एमपी में डेल्टा प्लस ने एक महिला की जान भी ले ली है। इसे लेकर वैज्ञानिकों ने चिंता भी जाहिर की है कि तीसरी लहर में डेल्टा प्लस वैरिएंट प्रमुख रूप से शामिल होगा।
कोरोना (Corona Virus) डेल्टा से डेल्टा प्लस (new Variant) कैसे बना
अगर हम आसान भाषा में समझे तो जब कोई वायरस रूप बदलकर और अधिक जानलेवा और खतरनाक हो जाता है। उसे नया वेरिएंट कहते हैं। ऐसा ही कुछ डेल्टा वैरिएट में देखने को मिला। दूसरी लहर में संक्रमित लोगों में डेल्टा यानी कि B.1.617.2 से सबसे अधिक लोग संक्रमित हुए थे, फिर यह म्यूटेट होकर B.1.617.2/AY.1 में तब्दील हो गया। डेल्टा प्लस के स्पाइक K417N म्यूटेशन जुड़ जाने के कारण डेल्टा प्लस वेरिएंट बना है। स्पाइक प्रोटीन कोरोना वायरस का जरूरी हिस्सा है। जो कि यूरोप में मिला था। इसी के कारण यह Human Body में घुसकर इंफेक्शन करता है। दूसरी लहर की वजह भी Delta थी। SARS-CoV-2 का Delta Variant (B.1.617.2) ने भारत के साथ-साथ सभी देशों की चिंता बढ़ा दी है।
कैसे हुआ नामकरण
जिस देश से ये कोरोना भारत समेत पूरी दुनिया में आया था, हम पहले उसे चीनी वायरस के नाम से जानते थे, लेकिन फिर WHO ने इसका नामकरण किया। जिस देश में जो वेरिएंट मिले उसकी भाषा को आसान बनाने और किसी देश के साथ वेरिएंट के नाम ना जोड़ा जाए य़ह सुनिश्चित करने के लिए WHO ने भारत, ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका समेत दूसरे देशों में पाये जाने वाले Corona Variants का नाम रखने के लिए ग्रीक भाषा के अक्षरों का इस्तेमाल किया.
जैसे-
- दक्षिण अफ्रीका (South Africa) – बीटा (Beta)
- ब्रिटेन (Britain) – अल्फ़ा (alpha)
- भारत (India) – (B.1.617.1 कप्पा)
- भारत ( india) – (B.1.617.2 डेल्टा)
- ब्राजील (Brazil) – गामा (Gamma)
- यूनाइटेड स्टेटस ऑफ अमेरीका – एप्सिलॉन (Epsilon)
साथ ही ये भी कहा गया कि Greek नाम जो पहले से चले आ रहे हैं, वो scientific नामों की जगह नहीं लेंगे। 24 से अधिक वेरिएंट आधिकारिक तौर पर मिल जाते हैं, तो ग्रीक अक्षर नए नामों के लिए कम पड़ जाएंगे. ऐसी स्थिति में नामकरण के नए प्रोग्राम का ऐलान किया जाएगा। “हम B.1.1.7 की जगह कोई दूसरा नाम नहीं ला रहे हैं, सिर्फ़ आम लोगों के बीच चर्चा को आसान बनाने की कोशिश कर रहे हैं.” “लोगों के बीच की बातचीत में इन नामों से आसानी होगी.”
सोमवार को ब्रिटेन सरकार की एक वैज्ञानिक समिति ने कहा कि देश में तीसरी लहर के आने की आशंका है जिसकी मुख्य वजह Delta वेरिएंट यानी भारत से शुरू हुआ वेरिएंट हो सकता है. ये अल्फ़ा वेरिएंट यानी Britain में शुरू हुए वेरिएंट की तुलना में तेज़ी से फ़ैलता है. पहले ब्रिटेन में मामलों के बढ़ने के पीछे अल्फ़ा वेरिएंट को ज़िम्मेदार माना गया था. इसी बीच Vietnam में एक नया वेरिएंट मिला है जो इन दोनों वेरिएंट का मिलाजुला संस्करण प्रतीत होता है. शनिवार को देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि ये तेज़ी से फैल सकता है और ये “बहुत ख़तरनाक” है.
इसी बीच Vietnam में एक नया वेरिएंट मिला है जो इन दोनों वेरिएंट का मिलाजुला संस्करण प्रतीत होता है. शनिवार को देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि ये तेज़ी से फैल सकता है और ये “बहुत ख़तरनाक” है.
डेल्टा और डेल्टा प्लस में अंतर (Corona Virus)
भारत में दूसरी लहर में सबसे डेल्टा का सबसे अधिक प्रभाव रहा। पहली बार Delta वेरिएंट भारत में पाया गया था। यहीं म्यूटेट होकर डेल्टा प्लस बना। जो कि Corona Virus से 4 गुना अधिक खतरनाक है। अब SARS-CoV-2 वायरस का डेल्टा वेरिएंट (B.617.2) म्यूटेंट होकर डेल्टा प्लस या फिर B.1.617.2.1/AY.1 में बदल गया है.डेल्टा वेरिएंट की स्पाइक में K417N म्यूटेशन जुड़ जाने से नया डेल्टा प्लस वेरिएंट बना है. भारत में दूसरी लहर की वजह डेल्टा वेरिएंट को माना जा रहा था। अब डेल्टा प्लस की वजह से तीसरी लहर ज्यादा खतरनाक हो सकता है। जीनोम सिक्वेंसिग के बाद देश में 40 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, केरल और तमिलनाडू में इसके मामले सामने आए हैं।
भारत के अलावा इन देशों में पाया गया डेल्टा प्लस (Corona Virus)
डेल्टा प्लस भारत के अलावा अमेरिका, यूके, पुर्तगाल, स्विजरलैंड, जापान, पोलैंड, नेपाल, चीन, रूस 9 देशों में पाया गया है। जबकि डेल्टा वेरिएंट भारत सहित दुनिया के 80 देशों में पाया गया था। ब्रिटेन में डेस्टा के 53 हजार केस सामने आए थे।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रतिनिधि का कहना है कि वैक्सीन डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ काम करती है. स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने बताया कि भारत में कोविशील्ड और कोवैक्सीन delta variant के खिलाफ प्रभावी हैं. डेल्टा वायरस पर अलग-अलग वैक्सीनों का क्या प्रभाव है इसके बारे में जानकारी उपलब्ध है और इसे जल्द साझा किया जाएगा. वहीं, health expert और वायरोलॉजिस्ट ने इस बात की ओर इशारा किया है कि डेल्टा प्लस वैरिएंट वैक्सीन और इन्फेक्शन इम्यूनिटी दोनों को चकमा दे सकता है.
कौन सी वैक्सीन डेल्टा प्लस (Corona Virus) पर रहेगी कितनी प्रभावी?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ और अमेरिकी वैज्ञानिक एरिक फीगल-डिंग ने ट्वीट कर कहा कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन (AstraZeneca Vaccine) डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ सीमित तौर पर प्रभावशाली हो सकी है. एस्ट्राजेनेका वैक्सीन डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ 60 फीसदी प्रभावी है. फाइजर 88 प्रतिशत प्रभावी है. यह एक नॉन ट्रायल स्टडी में सामने आया है. वैक्सीन के एक डोज का प्रभाव औसन 33 प्रतिशत है और कई सारे देशों में अभी एक डोज ही दी गई है. WHO की डॉक्टर मारिया वान केरखोव, डेल्टा वैरिएंट हमारे लिए बहुत चिंता का विषय है क्योंकि यह दुनिया भर में फैल रहा है. हम जानते हैं कि 92 देश ऐसे हैं जहां डेल्टा वैरिएंट हैं. 80 देशों में B1.617.2 है और अतिरिक्त 12 देशों में B.167 है.