(Turkish President Responds) तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोगन (Turkish President Recep Tayyip Erdogan) के द्वारा तालिबान को चेतावनी दी गई है। अफगानिस्तान के भीतर तालिबान ने जो तबाही मचा रखी है तालिबान उसे तुरंत अभी खत्म करें। जिस तरह से वह अलग-अलग प्रदेशों पर अपना कब्जा करते जा रहा है उसको तत्काल प्रभाव से तालिबान समाप्त करें। बता दें कि तालिबान ने तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान को धमकी दिया था। जिसे नजरअंदाज करते हुए तुर्की के राष्ट्रपति ने तालिबान से अपील की है कि वे दुनिया में अफगानिस्तान (Afganistan) में कायम शांति दिखाएं।
एर्दोगान ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, ‘ अपने भाईयों की जमीन पर तालिबान को कब्जा बंद कर देना चाहिए। साथ ही दुनिया को दिखाना चाहिए की अफगानिस्तान में शांति कायम हैं। उन्होंने आगे कहा कि तालिबान का रास्ता ऐसा नहीं है कि जिससे मुस्लिमों को एक-दूसरे से पेश आना चाहिए। तुर्की ने NATO के काबुल से निकलने के बाद अमेरिका से काबुल एयरपोर्ट की निगरानी की पेशकश की थी।
तालिबान ने तुर्की को दी थी धमकी
अफगानिस्तान में सैन्य बलों की तैनाती करने के फैसले की तालिबान ने निंदा कि थी. विदेशी सैनिकों की वापसी के बाद काबुल एयरपोर्ट की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने पर तुर्की को तालिबान ने धमकी दी थी. जारी बयान में तालिबान ने कहा, ‘तुर्की ने गलत सलाह पर यह फैसला लिया है. यह हमारी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता (Sovereignty and Territorial Integrity) का उल्लंघन है और हमारे राष्ट्रीय हितों के खिलाफ है.’
(Turkish President Responds) अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के साथ वहां कोहराम मचा हुआ है. 85 फीसदी से ज्यादा हिस्से पर तालिबानी लड़ाकों पर कब्जा जमा लिया है. हर तरफ गोलियों की तड़तड़ाहट. लूट मार. कब्ज़ा जारी है. वो अब लगातार काबुल की ओर बढ़ रहे हैं. अमेरिकी सैनिकों (american soldiers) की मौजूदगी की वजह से अफगान सैनिक खुद को काफी मजबूत नहीं बना पाई कि अत्याधुनिक हथियारों से लैंस तालिबानी सैनिकों का सामना कर पाए.
तालिबान का साथ दे रहा पाकिस्तान
इन सब के पीछे तालिबान का साथ दे रहा पाकिस्तान। क्यों कि पाकिस्तान कई सालों से अमेरिकी सैनिकों की अफगान से वापसी का इंतजार कर रहा है. इसके पीछे का रिजन अफगानिस्तान के साथ भारत के मजबूत होते रिश्ते। जिसने पाकिस्तान को चिंता में डाल दिया है, मगर अमेरिकी राष्ट्रपति के फैसले के बाद पाकिस्तान का जैसे सपना पूरा हो गया हो उसने देर ना करते हुए तालिबान को पूरा सपोर्ट करने लगा कि अब वह अफगानिस्तान के पूरे क्षेत्र में अपना कब्जा जमा लें. ये खुद तालिबान भी चाहता था. तालिबान का सिर उठाना लाजमी था. और हुआ भी यही.
ऐसे में अमेरिका के जवानों की घर वापसी के साथ तालिबान ने तेजी से अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है. जाहिर है पाकिस्तान की नीति और नीयत आतंकवाद को समर्थन करती है.. यही वजह है कि पाकिस्तान के हक्कानी आतंकियों ने तालिबानियों से हाथ मिला लिया है. इसके बाद से ही अफगानिस्तान में हालात बदलने शुरू हो चुके हैं. अफगानिस्तान में इंच इंच जमीन को बचाने के लिए खूनी संघर्ष हो रहा है. हर गुजरता दिन अफगानी सरकार की हार की इबारत लिख रहा है.
तालिबान ने मुल्क के करीब 193 जिलों में कब्जा
अब तक तालिबान ने मुल्क के करीब 193 जिलों में कब्जा जमा लिया है. बाकी 139 जिलों में तालिबान और अफगानिस्तान की आर्मी के बीच टकराव जारी है. अब महज़ 75 जिलों में अफगानिस्तान की सरकार का नियंत्रण बचा है. इस वक्त भी तालिबान के कई शहरों में युद्ध चल रहा है. कई इलाकों में बमबारी हो रही है. बदलते हालात में अपनी जान बचाने के लिए अफगान के लोग दूसरे देशों में शरणार्थी बनने मजबूर हो रहे हैं. तालिबान की तरफ से ये भी दावा किया जा रहा है कि बहुत जल्द उसका काबुल पर कब्जा हो जाएगा.