
Osama Bin Laden-Al-Zawahiri
Highlights
- अल-कायदा के नए प्रमुख का चुनाव होगा
- ओसामा-जवाहिरी की मौत के बाद होगा चुनाव
- प्रमुख की दौड़ में चार नाम बताए जा रहे
Al-Qaeda: अमेरिका ने आतंकी संगठन अल-कायदा के प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी को मार गिराया है। जिसके बाद अब दूसरी बार इस संगठन के प्रमुख का चुनाव होगा। साल 1988 में बने संगठन का नेतृत्व सबसे पहले खूंखार आतंकी ओसामा बिना लादेन ने किया, जिसे 2011 में पाकिस्तान के एबटाबाद में सीआईए (अमेरिकी खुफिया एजेंसी) ने मार गिराया। जिसके बाद ये पद अल-जवाहिरी को मिला था। उसे भी बीते शनिवार (30 जुलाई) अफगानिस्तान के काबुल में ढेर कर दिया गया। जिसके बाद अब संगठन के प्रमुख का पद खाली है, जिसके लिए नए आतंकी को चुना जाएगा।
कौन बनेगा अल-कायदा का नया प्रमुख?
लादेन की मौत के बाद इजिप्टियन इस्लामिक जिहाद (ईआईजे) का पूर्व नेता अल-जवाहिरी उसका उत्तराधिकारी बना। वो लादेन के बाद अल-कायदा का दूसरा बड़ा नेता और उसका करीबी दोस्त था। अल-कायदा और ईआईजे के 2001 के विलय की शर्तों ने अल-जवाहिरी को अगले अमीर यानी प्रमुख के रूप में चुना। लेकिन वर्तमान स्थिति अलग है और अल-कायदा के नेतृत्व के लिए एक से अधिक लोग दौड़ में हैं। संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों की एक टीम के अनुसार, चार लोग इस दौड़ में बने हुए हैं। इनमें से तीन नाम हैं- अब्द अल-रहमान अल-मगरिबी, यजीद मेबारेक और अहमद दिरीये। इनमें से एक भी मिस्र से नहीं है। जबकि आतंकी संगठन में अरब या मिस्र के ही लोग दिखते हैं। जबकि चौथा शख्स सैफ अल-अदेल अल-जवाहिरी की तरह मिस्र से ही है और इस दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा है।
सैफ अल-अदेल- ये अल-कायदा के मुख्य सैन्य प्रमुखों में से एक है। जिसने लादेन की मौत के बाद जवाहिरी के चुनाव से पहले कार्यवाहक के तौर पर इस पद को संभाला था। वह मिस्र के एक पूर्व विशेष बल का कमांडो था। इसके बारे में पूर्व एफबीआई एजेंट और ‘एनाटॉमी ऑफ टेरर’ के लेखक अली सूफान ने कहा है, सैफ एक रहस्यमयी, आतंकी लक्ष्यों को पूरा करने के लिए निर्दयिता की हद पार करने वाला माना जाता है। ये काफी पढ़ा लिखा है, अंग्रेजी में महारत हासिल है और किसी पर भी भरोसा नहीं करता। अमेरिका ने इसके सिर पर 10 मिलियन डॉलर का ईनाम रखा था और ये कई बार अपनी मौत का नाटक कर चुका है।
यह 7 अगस्त 1998 को पूर्वी अफ्रीकी शहरों नैरोबी, केन्या और दार एस सलाम, तंजानिया में अमेरिकी दूतावासों पर बमबारी में शामिल था, जिसमें 224 लोगों की मौत हुई थी। अल-अदेल को 2002 में पाकिस्तान में अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या से भी जोड़ा गया। 9/11 के हमलों के बाद, अल-अदेल ईरान में छिप गया। वह लाइमलाइट से दूर रहता है। और मुख्य तौर पर आतंकियों की फौज से जुड़े काम और खुफिया कार्यों को करता है।
अहमद दिरीये- सोमालिया में अल-शबाब के नेता अहमद दिरीये को अहमद उमर और अबु उबाइदाह के नाम से भी जाना जाता है। संगठन के पूर्व नेता की 2014 में अमेरिकी हवाई हमले में मौत हो गई थी, जिसके बाद इसने संगठन को संभालने का काम शुरू किया।
अहमद दिरीये और सैफ अल-अदेल (Ahmed Diriye-Saif al-Adel)
अब्द अल-रहमान- ये अल-जवाहिरी का दामाद है और मोरक्को में पैदा हुआ था। इसने जर्मनी से सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग की पढ़ाई की है। एफबीआई के अनुसार, अफगानिस्तान आने के बाद इसने अल-कायदा की मीडिया विंग अल-साहब को संभालने का काम किया है। यह भी 9/11 हमले के बाद ईरान भाग गया था। अमेरिका ने इसपर 7 मिलियन डॉलर का ईनाम रखा है।
यजीद मेबारेक- अल्जीरिया में पैदा हुआ यजीद अल-कायदा इन द इस्लामिक मगरीब (एक्यूआईएम) का प्रमुख था। 2020 में माली में फ्रांसीसी सेना द्वारा अपने पूर्ववर्ती अब्देलमलेक ड्रौकडेल की हत्या के बाद से संगठन में ऊपर उठा। अमेरिका का कहना है कि यजीद दुनियाभर में अल-कायदा के प्रबंधन का काम करता है। एक्यूआईएम अल-कायदा का एक महत्वपूर्ण और सक्रिय सहयोगी संगठन रहा है और ड्रौकडेल ने अपनी मौत से पहले अल-जवाहिरी के नेतृत्व में संगठन की टीम में काम किया था। अमेरिका ने इसे पकड़ने के लिए सूचना देने के लिए 7 मिलियन डॉलर का ईनाम रखा है।
अब्द अल-रहमान और यजीद मेबारेक (Abd al-Rahman al-Maghribi-Yezid Mebarek)
कैसे चुना जाता है अल-कायदा का प्रमुख?
अल-कायदा का अगला स्थायी अमीर यानी प्रमुख उसकी शूरा या गवर्निंग काउंसिल चुनती हैं। शूरा काउंसिल में आतंकी संगठन के मुख्य सदस्य होते हैं। महत्वपूर्ण मामलों पर शूरा के सदस्य संगठन की विभिन्न ब्रांचों से संपर्क साधते हैं। इसके लिए ये अल-कायदा की सूचना समितियों का इस्तेमाल करते हैं। इससे पहले अल-कायदा के उत्तराधिकारी के चुनाव के लिए ये प्रक्रिया 2011 में ओसामा की मौत के बाद अपनाई गई थी। अल-जवाहिरी को शूरा के सदस्यों से “बायत” या निष्ठा की प्रतिज्ञा प्राप्त करने की जरूरत थी। इन प्रतिज्ञाओं को सैफ अल-अदेल के अंतरिम नेतृत्व में पूरा किया गया था।
अली सौफान का कहना है, ‘अल-जवाहिरी ने उन प्रतिज्ञाओं को खुद नहीं पाया था। काम खत्म करने के लिए, संगठन को किसी ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता थी, जिसकी साख और वफादारी बनी रहे। सैफ अल-अदेल नाम के मिस्र के पूर्व कमांडो ने छह हफ्ते के भीतर अल-कायदा की शासी शूरा काउंसिल के सदस्यों में से एक को छोड़कर सभी से बाया की प्रतिज्ञा हासिल कर ली थी।’
अभी किसी को भी अंदाजा नहीं है कि अल-कायदा को अपना अगला प्रमुख नियुक्त करने में कितना समय लगेगा। 2 मई, 2011 को बिन लादेन की मौत और अगले अमीर के रूप में अल-जवाहिरी के नाम की औपचारिक घोषणा के बीच लगभग छह सप्ताह का अंतर था, जो 16 जून, 2011 को हुआ था। घोषणा में देरी को अल-जवाहिरी की नियुक्ति को मंजूरी देने में समूह के भीतर विभाजन को वजह बताया गया। आखिर में सैफ अल-अदेल का निजी सचिव हारून फजुल ही एकमात्र ऐसा व्यक्ति था, जिसने अल-जवाहिरी को ‘बायत’ नहीं दी, और वह लगभग उसी समय मारा गया।